मनरेगा में बड़ा घोटाला: गर्मी में डाली गई सर्दियों की तस्वीरें, मजदूर गायब, सरकारी पैसों का दुरुपयोग

ग्राम पंचायतों में मनरेगा के नाम पर हो रहा जमकर भ्रष्टाचार

ब्यूरो रिपोर्ट– आमिर हसन सिद्दीकी

बलरामपुर। श्रीदत्तगंज विकासखंड की गिद्धौर ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा सामने आई है। मीडिया की पड़ताल में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि मजदूरों की मौजूदगी दिखाने के लिए पोर्टल पर सर्दी के मौसम की पुरानी तस्वीरें अपलोड की गई हैं, जबकि इस समय तेज गर्मी पड़ रही है।

मामला 28 और 29 अप्रैल का है। 28 अप्रैल को पोर्टल पर 20 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई, और जो तस्वीर अपलोड की गई उसमें मजदूर ऊनी कपड़े और जैकेट पहने हुए दिखे। उस दिन तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक था, ऐसे में ऐसे कपड़े पहनना असंभव है। तस्वीर साफ तौर पर ठंड के मौसम की है। 29 अप्रैल को भी यही गड़बड़ी दोहराई गई। उस दिन दो अलग-अलग मस्टररोल पर 20 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई, लेकिन दोनों में एक ही तस्वीर लगाई गई थी। यह दिखाता है कि बार-बार एक ही फोटो का इस्तेमाल कर झूठी उपस्थिति दर्ज की गई।

जब मीडिया टीम 29 अप्रैल को मौके पर पहुंची, तो वहां कोई मजदूर नहीं था। हालांकि पोर्टल पर दर्ज जानकारी में सभी मजदूर कार्यरत दिखाए गए थे। यह न केवल मनरेगा के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सरकारी धन के गबन का भी मामला है।

ग्रामीणों ने इस फर्जीवाड़े पर गहरा रोष जताया है। उनका कहना है कि असली मजदूरों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है और कुछ लोग कागजों में हेराफेरी कर योजना का गलत फायदा उठा रहे हैं। ग्रामीणों ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

यह मामला जिला प्रशासन की निगरानी प्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। यदि समय रहते ऐसी घटनाओं की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो मनरेगा जैसी जनहितकारी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ सकती है। जरूरी है कि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं और योजना की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए तकनीकी निगरानी को और मजबूत किया जाए।

इस संबंध में एपीओ मनरेगा विकास कुमार ने बताया कि ठंड के मौसम की तस्वीरें पोर्टल पर अपलोड होने की जानकारी मिली है, जिसकी जांच करवाई जा रही है। गर्मी को देखते हुए कार्य सुबह और शाम की दो पालियों में कराया जा रहा है, हो सकता है कि मीडिया टीम के पहुंचने के समय मजदूर वहां न रहे हों। फिर भी मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी।

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