जल यात्रा के तीसरे दिन बबीना में संगोष्ठी, अधिकारियों ने जल सहेलियों का बढ़ाया हौसला
बबीना के तालाब से ब्लॉक सभागार तक गूंजा जल संरक्षण का संदेश, ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा
झांसी। बुंदेलखंड के जल संकट से निपटने और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए जल सहेलियों द्वारा संजय सिंह के नेतृत्व में निकाली जा रही जल यात्रा अपने तीसरे दिन बबीना पहुंची। सुबह यात्रा की शुरुआत रसोई से हुई, जहां जल सहेलियों ने जल प्रबंधन और पानी की बचत के महत्व पर चर्चा की। इसके बाद यात्रा ऐतिहासिक बबीना तालाब पहुंची, जहां जल सहेलियों ने जल संरक्षण का संकल्प लिया और ग्रामीणों को इसके महत्व से अवगत कराया। उन्होंने तालाबों और जलस्रोतों के पुनर्जीवन की आवश्यकता पर जोर देते हुए जल बचाने के लिए सामूहिक प्रयासों की अपील की।
इसके बाद जल यात्रा बबीना नगर में प्रवेश कर ब्लॉक सभागार पहुंची, जहां संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में एपीओ नरेगा पुष्पेंद्र वर्मा, एडीओ उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन मनोज कुमार सोनी और समाजसेवी मुलायम सिंह रजक ने जल सहेलियों का स्वागत कर उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के प्रति जल सहेलियों की यह पहल न केवल बुंदेलखंड बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणा बनेगी। अधिकारियों ने जल संकट को दूर करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर देते हुए जल सहेलियों को प्रोत्साहित किया।
संगोष्ठी के बाद यात्रा झांसी-ललितपुर राजमार्ग से होते हुए घिसौली पहुंची और फिर बड़ौरा में इसका ठहराव हुआ। रास्ते में सैकड़ों ग्रामीणों ने जल सहेलियों का जोरदार स्वागत किया और जल संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। ग्रामीणों ने जल बचाने और पारंपरिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया।
बबीना रूरल ग्राम प्रधान दीनदयाल पहलवान, टोल प्लाजा मैनेजर अभिषेक कुमार सिंह और समाजसेवी अनिल कुमार ने भी जल सहेलियों का अभिनंदन किया और उनके प्रयासों को सराहा। स्थानीय निवासियों ने इस अभियान को समर्थन देने का वचन दिया और कहा कि जल संरक्षण के इस आंदोलन में वे जल सहेलियों के साथ मिलकर काम करेंगे।
जल यात्रा के तीसरे दिन के समापन अवसर पर जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने जल सहेलियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जल सहेलियां बुंदेलखंड में जल क्रांति की वाहक बन रही हैं और उनका यह प्रयास क्षेत्र में जल संकट से निपटने में ऐतिहासिक भूमिका निभाएगा। उन्होंने जल संचयन और वर्षा जल संरक्षण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए जल सहेलियों को अपने अभियान को और सशक्त बनाने के लिए प्रेरित किया।
इस यात्रा में परमार्थ संस्था के कार्यकर्ता, वाटरशेड प्रोग्राम मैनेजर सहित सैकड़ों जल सहेलियां शामिल हुईं। अगले चरण में यह यात्रा अन्य गांवों में पहुंचकर जल संरक्षण और नदी-तालाबों के पुनर्जीवन का संदेश प्रसारित करेगी। जल सहेलियों का यह अभियान बुंदेलखंड में जल संकट को दूर करने के लिए एक नई राह खोल रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ और पर्याप्त जल मिल सकेगा।
टीम मानवाधिकार मीडिया से ब्यूरो रिपोर्ट झांसी।