झांसी महानगर:शुष्क भूमि क्षेत्रों में टिकाऊ खाद्य प्रणालियों के लिए विस्तार रणनीति विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन

दिनांक : 07.03.2025

शुष्क भूमि क्षेत्रों में टिकाऊ खाद्य प्रणालियों के लिए विस्तार रणनीति विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन

झाँसी। रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी में “शुष्क भूमि क्षेत्रों में टिकाऊ खाद्य प्रणालियों के लिए विस्तार रणनीतियाँ” विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हुआ। कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि शुष्क भूमि क्षेत्रों में स्थानीय जरूरतों के अनुरूप किसान परक मॉडल पर कार्य करने की आवश्यकता हैं।उन्होंने आयोजकों को बधाई देते हुए बताया कि इस सम्मेलन में तकनीकी आयाम के साथ कृषक विस्तार रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा हुई जिसे उचित रूप से क्रियान्वित करने की आवश्यकता हैं । भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के पूर्व उप महानिदेशक (कृषि प्रसार), डॉ पी दास ने कहा तकनीक के साथ साथ किसान परक नीति को गति प्रदान करनी होगी तथा सभी हितधारकों को एक मंच पर कार्य करने की आवश्यकता हैं । साथ ही उन्होंने कहा कि शुष्क भूमि क्षेत्रों में निवेश में बढ़ोतरी लाने की आवश्यकता हैं । वैज्ञानिकों को कृषकों की आज की आवश्यकता के साथ साथ आगामी वर्षों की जरूरतों को देखते हुए कार्य करना चाहिए । आयोजन समिति के अध्यक्ष, डॉ. सुशील कुमार सिंह , निदेशक प्रसार शिक्षा ने बताया कि इस सम्मेलन में शुष्क क्षेत्र की प्रमुख फसलें किस प्रकार से टिकाऊ बनी रहे एवं उनका उत्पादन भी बना रहे इस पर मंथन हुआ। जमीन, पानी, विशेष तौर पर सामुदायिक भावना पर जोर दिया गया। लघु कृषकों को सामुदायिक भावना देंगे तो उचित मूल्य व् बाजार उपलब्ध होगा । कृषकों को तकनीकी सहयोग एवं कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के साथ कार्य करने के अच्छे परिणाम मिलेंगे। एक जिला एक उत्पाद नीति से किसानों की आमदनी का जरिया बना रहेगा, इससे किसान अन्य कृषि से संबंधित उद्यम जैसे पशुपालन, मुर्गी आदि पर ज्यादा ध्यान देने से लाभ मिलेगा । आने वाले समय में ग्रामीण महिलाएं व नवयुवक की रुचि खेती में बनी रहे इसके लिए लाभप्रद इकाइयों की स्थापना ग्रामों में करनी चाहिए जिससे उनका आय का सतत साधन बना रहे एवं ग्रामीणों का पलायन भी रुक सके । इन तीन दिन में कुल 6 तकनीकी सत्र एवं एक पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि मंत्रालय, यूनिसेफ, नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च मैनेजमेंट हैदराबाद, तेलंगाना, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, ईकरीसैट, नाबार्ड आदि संस्थानों के 30 से अधिक वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए गए । कार्यक्रम के शुरुआत में सम्मेलन का सार डॉ. श्रीधर पाटिल, आयोजन सचिव द्वारा प्रस्तुत किया गया एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ. तनुज मिश्रा और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आशीष कुमार गुप्ता ने दिया ।

टीम मानवाधिकार मीडिया से आनन्द बॉबी चावला झांसी।

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