झांसी महानगर:जूनोटिक रोगों के इलाज से बेहतर है बचाव:- सीडीओ

दिनांक 19 दिसम्बर 2024
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सीडीओ की अध्यक्षता में जूनोटिक समिति (Zoonotic committe) की बैठक विकास भवन सभागार में हुई संपन्न

जूनोटिक रोगों के इलाज से बेहतर है बचाव:- सीडीओ

जिला अस्पताल में कुत्ता काटने से बचाव के इंजेक्शन की उपलब्धता 24×07 सुनिश्चित करने के निर्देश

जनमानस को करें जागरूक कुत्ते के काटने के अतिरिक्त बिल्ली, जंगली चूहा, बंदर अथवा अन्य जानवर के काटने से भी होता है रैबीज

ग्राम टोड़ी मड़ियन मोंठ में 02 घोड़ों को ग्लैण्डर रोग से ग्रसित पाये जाने पर क्या कार्यवाही कि गई की जानकारी ली
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झांसी: जूनोटिक रोग उन बीमारियों या संक्रमणों को कहा जाता है जो किसी जानवर या कीट से मनुष्यों में प्रेषित होते हैं। उन्हें ज़ूनोसिस भी कहा जाता है। जानवर बैक्टीरिया, कवक, वायरस और परजीवी जैसे हानिकारक रोगजनकों को ले जाते हैं। ये रोगजनक जब मनुष्यों के संपर्क में आते हैं, तो जूनोटिक रोग पैदा करते हैं।
उक्त उद्गार मुख्य विकास अधिकारी श्री जुनैद अहमद ने विकास भवन सभागार में आयोजित जूनोटिक समिति की बैठक में अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, जूनोटिक रोगों का मानव आबादी पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। ज़ूनोसिस सबसे लगातार और खतरनाक जोखिमों में से एक है जिससे मानव जाति प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों से बचाव करना सबसे बेहतर है। इसके लिए जरूरी है कि हाइजीन का ध्यान रखा जाए, साफ पानी पिए और खाना पकाने के लिए सुरक्षित पानी का इस्तेमाल करें।
मुख्य विकास अधिकारी ने जूनोटिक कमेटी की बैठक में उपस्थित सीएमओ/सीएमएस से को जिला अस्पताल में कुत्ते काटने की बचाव हेतु इंजेक्शन उपलब्ध रहें। इसके अतिरिक्त एक विशेष कक्ष में टीकाकरण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने जानवर के काटने से हुए घाव का प्रबंधन एवं लैब डायग्नोसिस के संबंध में भी विस्तृत दिशा निर्देश दिए।
बैठक में उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 रमाकांत ने बताया कि पालतू/छुट्टा कुत्ता एवं अन्य जानवरों से दूरी बनाए रखें। उन्होंने कहा कि पालतू एवं छुट्टा कुत्तों के काटने पर तत्काल एनटी रेवीज़ टीका लगवाया जाना सुनिश्चित करें। वर्तमान में 33 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी ARV की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है।उन्होंने बैठक में बताया गया कि आम जनमानस में धारणा है कि सिर्फ कुत्ते के काटने से भी रैबीज होता है, जबकि बिल्ली, जंगली चूहा, बंदर अन्य जंगली जानवर के काटने से भी रैबीज हो सकता है। डॉ0 रमाकांत ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से रैबीज रोग, जानवर के काटने से हुए घाव का प्रबन्धन एवं लैब डायग्नोसिस आदि के सम्बन्ध में विस्तार से जानवर के काटने पर तुरन्त बहते पानी से घाव को 15 से 20 मिनट तक धोने से रैबीज वायरस की मात्रा कम हो जाती है, बचाव की जानकारी दी।
बैठक में डॉ0 रमाकांत ने रैबीज टीकाकरण के बारे मे बताया कि कुत्ते आदि जानवर के काटने पर 24 घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचकर टीकाकरण करवाने से रैबीज की संभावना कम हो जाती है। निर्धारित मात्रा में पूर्ण टीकाकरण कराने पर जानवर के काटने के पश्चात रैबीज नहीं होता है।
बैठक में डाक्टर रमाकांत द्वारा बताया गया कि मोंठ में घोड़ा पालक  संजय पुत्र रामेश्वर निवासी टोड़ी मडियन मोंठ के 02 घोड़े को ग्लैण्डर रोग से ग्रसित पाये गये हैं, जिसके क्रम में अधीक्षक, सामु०स्वा०के० मोंठ द्वारा स्थलीय निरीक्षण एवं सत्यापन किया गया। सत्यापन के दौरान ज्ञात हुआ कि श्री संजय दिनांक 11.12.2024 को बानमौर, मुरैना, म०प्र० ईंट भट्टों के कार्य हेतु चले गये हैं एवं मोंठ वापसी माह जून, 2025 तक सम्भावित है, जिस कारण संक्रमित घोडों एवं परिजनों का सत्यापन एवं परीक्षण नहीं किया जा सके।जिला सर्वेलांस यूनिट द्वारा  संजय से दूरभाष पर वार्ता में ज्ञात हुआ कि उनके परिवार में कुल 05 सदस्य हैं जिसमें पिता श्री रामेश्वर 45 वर्ष, पत्नी श्रीमती गुडिया उम्र 30 वर्ष, भाई राहुल उम्र 16 वर्ष एवं पुत्री पलक 08 वर्ष है। वर्तमान में किसी भी सदस्य को कोई भी स्वास्थ्य समस्या नहीं हैं परन्तु घोडे सर्दी जुखाम से पीड़ित हैं। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मुरैना मध्य प्रदेश को अग्रिम कार्यवाही एवं रोकथाम एवं नमूना एकत्र करने हेतु सूचित किया गया है, चूंकि राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार हरियाणा द्वारा अवगत कराया गया है कि ग्लैण्डर रोग का इन्क्यूवेशन पीरिएड की अवधि 06 माह तक होने की स्थिति में ग्लैण्डर रोग से ग्रसित पशुओं के पालकों / स्वामियों के निकटवर्ती सम्बन्धियों अथवा सम्पर्क में आये व्यक्तियों, जो कि वर्तमान में स्वस्थ भी हों, के नमूनें एकत्र कर राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार हरियाणा को प्रेषित करने के साथ ही रोगों से बचाव एवं प्रसार की रोकथाम सम्बन्धी कार्यवाही कराने हेतु कहा गयाl
मुख्य विकास अधिकारी द्वारा मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को शीघ्र ही क्षेत्र में संभावित संक्रमित घोड़ों की जाँच एवं रोग की रोकथाम हेतु कार्यवाही के निर्देश दिए गए।
बैठक में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट  दीपक मेघवाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0सुधाकर पांडेय, एसीएमओ डॉ एनके जैन, सीएमएस महिला डॉ राज नारायण, डॉ पी0के0 कटियार सीएमएस पुरुष, डॉ0 ओम शंकर चौरसिया,डॉ रवि शंकर, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ विजयश्री शुक्ला, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, डॉ अनुराधा राजपूत एपिडेमियोलॉजिस्ट आदि उपस्थित रहे।
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टीम मानवाधिकार मीडिया से ब्यूरो रिपोर्ट झांसी।

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