नौतनवा/महाराजगंज: नेपाल सीमा से सटे नौतनवा कस्बे और आसपास के क्षेत्रों में तस्करी का कारोबार दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित कच्चे और पगडंडी मार्गों का उपयोग कर तस्कर बड़े पैमाने पर वस्त्र, खाद्यान्न, ब्रान, सोना, चावल, प्याज, नकदी और अन्य सामग्रियों की तस्करी कर रहे हैं। यह गतिविधियां प्रशासन की कथित मिलीभगत और निष्क्रियता के कारण बेरोकटोक जारी हैं। सूत्रों के अनुसार, सीमा पार किए जा रहे माल में कपड़े, धान, चावल, राइस ब्रान, सोना और नगदी,कैरेन्सी एक्सचेंज, मादक पदार्थ प्रमुख हैं। खास बात यह है कि इन तस्करी गतिविधियों का लेनदेन ज्यादातर नगदी में होता है, जिससे भारत-नेपाल सीमा पर हवाला कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है। समय-समय पर प्रशासन द्वारा जब्त किए गए तस्करी के सामान इन आरोपों की पुष्टि करते हैं। *प्रशासनिक कार्रवाई महज दिखावा* हालांकि, तस्करी पर रोक लगाने के लिए प्रशासन द्वारा समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन यह केवल कुछ दिनों तक सीमित रहते हैं। इसके बाद तस्कर नए मार्गों का उपयोग कर अपने कार्यों को फिर शुरू कर देते हैं। छोटे-मोटे तस्करों को पकड़कर प्रशासन अपनी पीठ थपथपाता है, लेकिन बड़े तस्करों पर कार्रवाई के अभाव में उनका कारोबार फल-फूल रहा है। *तस्करी से बदल रही आर्थिक स्थिति* तस्करी से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव देखा गया है। जिनके पास कभी साधारण साधन नहीं थे, वे आज लग्जरी गाड़ियों में घूमते हैं। इनकी जीवनशैली में आया यह बदलाव साफ तौर पर बताता है कि अवैध तस्करी का धंधा इन्हें संपन्न बना रहा है। *हवाला कारोबार की बढ़ती सक्रियता* तस्करी के लेनदेन में नकदी का उपयोग बड़े स्तर पर हो रहा है, जिससे हवाला कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है। जानकार बताते हैं कि इस तरह की गतिविधियों पर प्रभावी रोक लगाने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे। *विशेषज्ञों का मानना है कि*तस्करी के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए सीमा पर निगरानी और सुरक्षा उपायों को प्रभावी बनाना आवश्यक है। अन्यथा, यह समस्या न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकती है।