झांसी महानगर:रेलवे वैगन वर्कशॉप ने मनाया विश्व धरोहर दिवस

वैगन वर्कशॉप ने मनाया वर्ल्ड हेरिटेज डे

झांसी: वैगन वर्कशॉप के, सी डब्ल्यू एम कॉन्फ्रेंस हॉल में विश्व धरोहर दिवस के अवसर उत्तर मध्य रेल ने एक बेविनार और हेरिटेज वॉक का आयोजन किया।
इस साल 2025 में विश्व धरोहर दिवस की थीम आपदा और संघर्ष प्रतिरोधी विरासत (Heritage under Threat from Disasters and Conflicts) है. इस थीम का मतलब है प्राकृतिक आपदाओं से इन धरोहरों को बचाने की तरफ कदम उठाना, तैयारी करना और इनसे सीख लेना.
उत्तर मध्य रेल के सी. ई. एन. एच. एम. शिवाजी कदम का स्वागत डिप्टी सी एम ई शिवेंद्र ने लाइव प्लांट देकर किया ।
बेविनार का शुभारंभ करते हुए शिवाजी कदम ने कहा कि वर्ल्ड हैरीटेज डे की शुरुआत 1982 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मोन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) द्वारा की गई थी. इसके बाद यूनेस्को ने 1983 में इसे आधिकारिक मान्यता दी. तब से हर साल 18 अप्रैल को यह दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है. इसका मकसद धरोहरों की रक्षा को बढ़ावा देना है.
बेविनार में रिटायर्ड जी.एम. जे.एल.सिंह जो कि रेल एंथुजिआस्ट सोसायटी के सचिव हैं, पी.पी.टी. प्रस्तुत करते हुए भारतीय रेल की धरोहरों को सहेजने पर ज़ोर देते हुए कहा कि ये हमारे गौरवशाली इतिहास का हिस्सा है।

पी.सी.एम.ई. अनिमेष कुमार सिन्हा ने रेलवे के अविस्मरणीय इतिहास को तकनीक और विरासत से जोड़ते हुए बताया कि
1814 में, जॉर्ज स्टीफेंसन ने ट्रेविथिक, मरे और हेडली के शुरुआती इंजनों से प्रेरित होकर, स्टीफेंसन ने भाप से चलने वाले इंजन के विकास और उसे बड़े पैमाने पर अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने ब्लूचर नामक इंजन बनाया , जो एक सफल फ्लैंज्ड -व्हील आसंजन इंजन भी था। 1825 में, उन्होंने इंग्लैंड के उत्तर पूर्व में स्टॉकटन और डार्लिंगटन रेलवे के लिए लोकोमोशन नामक इंजन बनाया, जो दुनिया का पहला सार्वजनिक भाप से चलने वाला रेलवे बन गया, 1829 में, उन्होंने रॉकेट नामक इंजन बनाया, जिसने रेनहिल परीक्षणों में प्रवेश किया और जीत हासिल की। वह लिवरपूल और मैनचेस्टर रेलवे था , जिसे 1830 में बनाया गया था।
भारतीय रेलवे की शुरूआत अंग्रेज़ों द्वारा 172 साल पहले की गई थी। भारत की पहली यात्री ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को दोपहर 3:30 बजे बोरी बंदर से एक विशाल भीड़ की जोरदार तालियों और 21 तोपों की सलामी के बीच रवाना हुई थी और 34 किलोमीटर दूर ठाणे के बीच चली थी। इसका संचालन साहिब, सुल्तान और सिंध नामक तीन इंजनों द्वारा किया गया था और रेलवे के पास इस तरह की धरोहरों को सहेजने की महती आवश्यकता है
अनिमेष कुमार सिन्हा ने आगे बताया कि वैगन वर्कशॉप झांसी में 1897 का इंडियन मिड लेन्ड रेलवे के एजेंट का सेलून, धौलपुर दरबार रेलवे के कोचेज, सिंधिया स्टेट रेलवे के कोचेज और सेल्फ प्रोपेल्ड इंस्पेक्शन कैरेज भी, हेरिटेज पार्क में रखे गये हैं वैगन वर्कशॉप झांसी में रेलवे की धरोहरों को संग्रहालय बना कर प्रदर्शित किया है
जिसमें रेल के विकास से जुड़े महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज भी रखे गए।

टीम मानवाधिकार मीडिया से ब्यूरो रिपोर्ट झांसी।

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