
दिनांक 17 अप्रैल 2025
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जूनोटिक समिति (Zoonotic committe) की बैठक विकास भवन सभागार में हुई संपन्न
जूनोटिक रोगों के इलाज से बेहतर है बचाव:- जिलाधिकारी
होर्डिंग और बैनर के माध्यम से आम जन को जोनेटिक रोगों की दें जानकारी, बचाव का भी किया जाए प्रचार प्रसार
जिला अस्पताल में कुत्ता काटने से बचाव के इंजेक्शन की उपलब्धता 24×07 सुनिश्चित करने के निर्देश
जिला अस्पताल में उपलब्ध है रेबीज़ की इम्युनो ग्लोबलिन, डॉग बाइट या एनिमल बाइट के मरीजों को लगाई जाती है तत्काल
जिला अस्पताल सहित समस्त सीएससी में सुनिश्चित करें 24×07 रेबीज़ वैक्सीनेशन
जनमानस को करें जागरूक कुत्ते के काटने के अतिरिक्त बिल्ली, जंगली चूहा, बंदर अथवा अन्य जानवर के काटने से भी होता है रैबीज
पूर्ण वैक्सीनेशन ही रेबीज़ से बचाव है:- जिलाधिकारी
मिलिट्री हॉस्पिटल द्वारा संदिग्ध रेबीज़ के मरीज की मृत्यु की दी जानकारी
झांसी।जूनोटिक रोग उन बीमारियों या संक्रमणों को कहा जाता है जो किसी जानवर या कीट से मनुष्यों में प्रेषित होते हैं। उन्हें ज़ूनोसिस भी कहा जाता है। जानवर बैक्टीरिया, कवक, वायरस और परजीवी जैसे हानिकारक रोगजनकों को ले जाते हैं। ये रोगजनक जब मनुष्यों के संपर्क में आते हैं, तो जूनोटिक रोग पैदा करते हैं।
उक्त उद्गार जिलाधिकारी ने विकास भवन सभागार में आयोजित जूनोटिक समिति की बैठक में अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, जूनोटिक रोगों का मानव आबादी पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। ज़ूनोसिस सबसे लगातार और खतरनाक जोखिमों में से एक है जिससे मानव जाति प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों से बचाव करना सबसे बेहतर है। इसके लिए जरूरी है कि हाइजीन का ध्यान रखा जाए, साफ पानी पिए और खाना पकाने के लिए सुरक्षित पानी का इस्तेमाल करें।
जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने जूनोटिक कमेटी की बैठक में उपस्थित सीएमओ/सीएमएस को जिला अस्पताल में कुत्ते काटने की बचाव हेतु इंजेक्शन उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके अतिरिक्त उन्होंने एक विशेष कक्ष में टीकाकरण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने जानवर के काटने से हुए घाव का प्रबंधन एवं लैब डायग्नोसिस के संबंध में भी विस्तृत दिशा निर्देश दिए।
बैठक में पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट डा0 उत्सव राज ने बताया कि पालतू/ छुट्टा कुत्ता एवं अन्य जानवरों से दूरी बनाए रखें। उन्होंने कहा कि पालतू एवं छुट्टा कुत्तों के काटने पर तत्काल एनटी रेवीज़ टीका लगवाया जाना सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी एंटी रेबीज वैक्सीनेशन की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है।उन्होंने बैठक में बताया गया कि आम जनमानस में धारणा है कि सिर्फ कुत्ते के काटने से ही रैबीज होता है, जबकि बिल्ली, जंगली चूहा, बंदर व अन्य जंगली जानवर के काटने से भी रैबीज हो सकता है। डॉ0 उत्सव राज ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से रैबीज रोग, जानवर के काटने से हुए घाव का प्रबन्धन एवं लैब डायग्नोसिस आदि के सम्बन्ध में विस्तार से जानवर के काटने पर तुरन्त बहते पानी से घाव को 15 से 20 मिनट तक धोने से रैबीज वायरस की मात्रा कम हो जाती है, बचाव की जानकारी दी।
बैठक में डॉ0 उत्सव राज ने रैबीज टीकाकरण के बारे मे बताया कि कुत्ते आदि जानवर के काटने पर 24 घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचकर टीकाकरण करवाने से रैबीज की संभावना कम हो जाती है। निर्धारित मात्रा में पूर्ण टीकाकरण कराने पर जानवर के काटने के पश्चात रैबीज नहीं होता है।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 सुधाकर पांडेय, सीएमएस महिला डॉ0 राज नारायण, सीएमएस पुरुष डॉ0 पी0के0 कटियार, एसीएमओ डॉ0 राजीव भदौरिया,डॉ0 रवि शंकर, डॉ0 विजय शुक्ला, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, डॉ अनुराधा राजपूत एपिडेमियोलॉजिस्ट आदि उपस्थित रहे।
टीम मानवाधिकार मीडिया से आनन्द बॉबी चावला झांसी।