दमोह।दमोह शहर के आसपास के ग्रामीणों की भीड़ जन रोजाना करते हैं दिल्ली बंबई गोवा का सफर यह सब अपने रवि की फसल की बोबनी बखरनी कर रहिसों की तर्ज पर घूमने नहीं बल्कि बढ़ती मंहगाई और ग्राम में सरकार के व्दारा संचालित मनरेगा या नरेगा जैसी योजनाओं जिसमें 100 दिन की मजदूरों को मजदूरी की गारंटी देती है योजनाओं का लाभ ग्राम के दबंगों,बर्चस्वी लोगों और संरपंच,सचिव,रोजगार सहायकों व्दारा दिल्ली में मजदूरी करतें मजदूरों को उनके निवास ग्राम में दर्शाकर उनके खाते के एटीएम के माध्यम से फर्जी तरीके से राशि का आहरण कर अधिकारी से लेकर कर्मचारियों तक जमकर बंदरबांट मचा है।और यह योजना जो कांग्रेस शासनकाल की एक महत्वाकांक्षी योजना थी उसका भी एक प्रकार से प्राईवेट करण हो रहा है जहाँ ग्राम के कार्यों को छुटभैये नेताओं द्वारा प्राईवेट मजदूरों से करवाकर भी मनरेगा या नरेगा जैसी योजनाओं की मजदूरी का पैसा जादू कर आहरण कर लिया जाता है।यह स्टेशन की रोजाना की तस्वीरे इन सभी लोगों की परत खोलती नजर आ रही है।
पलायन स्टेशन दमोह मजदूरों की भारी भीड़ करती है रोजाना दिल्ली का सफर

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