यरूशलम: ठीक एक साल पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जोश से दावा किया था कि पश्चिम एशिया में एक नई शांति व्यवस्था स्थापित होगी। लेकिन, एक साल बाद जब वे उसी मंच पर लौटेंगे तो उनकी यह घोषणा धराशायी होती नजर आएगी। गाजा में चल रहे विनाशकारी युद्ध को एक साल पूरा होने वाला है। इस समय इजरायल ईरान समर्थित लेबनानी समूह हिजबुल्लाह के साथ युद्ध की कगार पर खड़ा है। अब ऐसे समय में शांति की बात करना बेमानी लगेगा।
इजराइल सिर्फ़ क्षेत्रीय संघर्षों से ही प्रभावित नहीं है। नेतन्याहू जब न्यूयॉर्क जाएँगे तो उन्हें अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय से गिरफ़्तारी वारंट मिलने की संभावना का सामना करना पड़ेगा। इजराइल के विदेश मंत्रालय के पूर्व महानिदेशक और नेतन्याहू के मुखर आलोचक एलन लील ने कहा, “वे लगभग अवांछित व्यक्ति बनने की स्थिति में पहुँच चुके हैं।” वे संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषणों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन क्या इस साल कुछ अलग होगा?
बेंजामिन नेतन्याहू शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले हैं। जुलाई में इससे पहले उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र में गाजा में युद्ध के लिए इजरायल का पक्ष रखा था। इस भाषण के लिए उन्हें अमेरिकी सदन से प्रशंसा मिली और उनके देश के कुछ आलोचकों से भी।
जॉर्जटाउन और तेल अवीव विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर योसी शाइन ने कहा, “उनके विचार में, वह न्यूयॉर्क की किसी भी ऐसी यात्रा को विश्व मामलों के बड़े मंच पर एक लाभकारी स्थिति मानते हैं।” उन्होंने कहा कि नेतन्याहू के विदेश में दिए गए भाषण अक्सर घरेलू दर्शकों को प्रभावित करने के लिए होते हैं, और यह भाषण भी अलग नहीं था।
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